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  1. अनशन का तीसरा दिन, जंतर-मंतर उफान पर
    अनशन का तीसरा दिन. अनशनकारियों के चेहरे पर थकान जरूर नजर आ रही थी लेकिन जोश में कोई कमी नहीं आई थी. करीब 400 अनशनकारी सुबह की दिनचर्या से फुर्सत पाकर कार्यक्रम शुरू होने के इंतजार में बैठे थे. मेडिकल जांच चल रही थी. अचानक सूचना केंद्र से डॉक्टरों के लिए एक खबर आई कि 50 नए अनशनकारियों ने अनशन के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया है. उनकी भी डॉक्टरी जांच की औपचारिकता चल रही थी. इसी बीच अरविंद केजरीवाल अनशनकारियों का हाल लेने आए. अनशनकारियों में जोश आ गया और उन्होंने जीवन के अंतिम सांस तक डटे रहने की शपथ ली. अरविंद ने सबका आभार व्यक्त किया.
    जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर भी आज आंदोलन को समर्थन देने पहुंची. मेधा पाटेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई में टीम अन्ना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ती रही है. मेधा ने देश के शोषितों और वंचितों की समस्या को जनता के सामने रखा और लोगों से उसके खिलाफ खड़ा होने की अपील की. मेधा पाटेकर ने कहा, देश के जल, जंगल और जमीन की लूट मची हुई है. लुटेरों को इस बात का जरा भी भय नहीं कि उनकी चोरी पकड़ी जाएगी और उन्हें दंड मिलेगा. जनलोकपाल देश के हर आम भारतीय की जरूरत है. मजबूत जनलोकपाल के बिना देश की तरक्की नहीं हो सकती.
    भ्रष्टाचार के खिलाफ अंतिम लड़ाई के लिए कमर कस जंतर-मंतर पर जुट रहे जनसैलाब का माखौल उड़ाते हुए मीडिया ने गुरुवार को दिनभर यह खबर दिखाई कि जंतर-मंतर पर बस मुठ्ठी भर लोग जमा हैं. बार-बार दिखाई जा रही इस झूठी खबर की जनता में जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई. शुक्रवार की सुबह से ही दिल्ली और देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग समूहों में आने लगे. सुबह के 11 बजे तक जंतर-मंतर पर पैर रखने की जगह नहीं बची थी. लोगों के आने का क्रम जारी रहा. उसका नतीजा हुआ कि दिल्ली पुलिस को कई नए इंट्री गेट और मेटल डिटेक्टर लगाने पड़े और हर गेट पर दिनभर लंबी कतार लगी रही. जब जंतर-मंतर पर तिल रखने की जगह नहीं बची. थोड़ी देर में जनसैलाब अशोक रोड के गोलचक्कर तक फैल गया.
    क्या स्कूल के बच्चे, क्या जवान-क्या बूढ़े, सभी उस प्रचार को झूठा साबित करने जंतर-मंतर की ओर चले आ रहे थे जिसमें कहा जा रहा था कि आंदोलन को जनता का समर्थन नहीं मिल रहा. दान काउंटर पर आज माहौल भावुक हो गया. दोपहर के करीब डेढ़ बजे एक बुजुर्ग दान काउंटर पर आए. उन्हें देखकर नहीं लगता था कि वह आंदोलन के लिए  कुछ दान करने का सामर्थ्य रखते हों. उन्होंने बताया कि वह अनाज मंडी में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. अपने फटे-पुराने पायजामे में छुपाकर रखी गई एक पोटली निकाली औऱ उसमें से निकालकर 10 रुपए दिए. उनका कहना था कि आंदोलन के लिए इस छोटी सी रकम का कोई मूल्य नहीं लेकिन उनके पास देने के लिए इससे अधिक कुछ भी नहीं. उन्होंने बताया कि यह छोटा सा दान देने के लिए वह नई सड़क से पैदल चलकर आए हैं. आंदोलन के प्रति समर्थन के उनके जज्बे को देखकर दान काउंटर पर बैठा वॉलेंटियर जो कि सीए का विद्यार्थी है, काफी भावुक हो गया. वहां बैठे सभी लोगों ने दान की उनकी भावना को सलाम किया. आन्दोलन को दूसरे दिन करीब तीन लाख रुपये का दान मिला.    
    आज दिनभर अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य करने वाले समाजसेवी आए और अपने अनुभव और विचार लोगों के साथ साझा किया. दोपहर के करीब साढ़े तीन बजे स्वामी रामदेव समर्थकों के साथ अन्ना हजारे के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन को अपना नैतिक समर्थन देने आए. उन्होंने भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए अपने प्राण की बाजी लगाने वाले अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और गोपाल राय समेत समस्त अनशनकारियों के त्याग की सराहना की और शुभकामनाएं दीं. स्वामी रामदेव ने जंतर-मंतर के जनसैलाब को संबोधित करते हुए सरकार को चुनौती दी कि अगर वह जनता के दुख दर्द को समझना छोड़ देगी तो वह दिन दूर नहीं जब जनता उसे सत्ता से बेदखल कर दे. स्वामी रामदेव ने अपने संबोधन में कहा, जिस दिन सीबीआई, सीवीसी, मुख्य चुनाव आयुक्त और सीएजी के पद पर होने वाली नियुक्ति सरकार के नियंत्रण से मुक्त हो जाएगी, राजनीति का भ्रष्टाचार स्वतः कम हो जाएगा.
    स्वामी रामदेव ने मजबूत लोकपाल बनाने के लिए चल रहे आंदोलन को अपना भरपूर समर्थन देने का संकल्प लिया. उन्होंने सांसदों के आचरण पर चुटकी लेते हुए कहा कि सांसद इस बात के लिए तो खूब लड़ते हैं कि संसद सर्वोच्च है लेकिन सांसदों का आचरण भी सर्वोच्च हो, इसकी उन्हें कोई चिंता नहीं.
    आज के दिन के कार्यक्रम के समापन पर जंतर-मंतर पर उमड़े जनसमूह को संबोधित करने के लिए अन्ना हजारे ने माइक संभाली. लेकिन करीब 15 मिनट तक वह सुस्वागतम और धन्यवाद के अलावा कुछ नहीं बोल पाए. अन्ना तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं के नारे लगाता युवाओं के समूह का आगमन जारी रहा और अन्ना सुस्वागतम कहते सबका स्वागत करते रहे.
    अन्ना ने युवाओं से आह्वान किया कि अब युवाओं को राष्ट्र परिवर्तन की कमान संभालनी होगी. सच्चा आनंद तन का आनंद नहीं, मन का आनंद है और मन का आनंद सेवा भाव से आता है, मेवा लेने के भाव से नहीं. युवाओं को उसी अद्भुत आनंद की तलाश के लिए देशसेवा को समर्पित होना पड़ेगा. अन्ना ने सरकार को एक बार फिर चेताया कि अगर 36 घंटे के अंदर अगर वह भ्रष्ट मंत्रियों की जांच कराने के लिए एसआईटी गठित करने और मजबूत लोकपाल बनाने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं करती तो 29 तारीख से वह खुद अनशन पर बैठेंगे.  

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