स्टालिन के घर सीबीआई छापा एक राजनीतिक हित साधने की कोशिश
जब तक जनलोकपाल नहीं बनेगा तब तक न तो करूणानिधि या
मुलायम सिंह जैसे नेताओं का भ्रष्टाचार रुकेगा और न ही सीबीआई जैसी संस्थाओं का
राजनैतिक दुरुपयोग
केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेते ही करूणानिधि के परिजनों के यहाँ केन्द्रीय
जांच ब्यूरो(सीबीआई) ने दस्तक देनी शुरू कर दी है. आज सुबह करूणानिधि के पुत्र और
डीएमके नेता स्टालिन के घर सीबीआई का छापा एक बार पुन: इस बात का प्रमाण है कि
केंद्र सरकार में बैठी पार्टी अपने राजनैतिक हित साधने के लिए सीबीआई का किस तरह
दुरुपयोग करती है.
स्टालिन के पुत्र ने पांच साल पहले २० करोड़ की कार खरीदकर उसका टैक्स नहीं
चुकाया था. इसकी सज़ा उन्हें मिलनी चाहिये. उनके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए. लेकिन
ऐसे मामलों को पांच साल तक लटका कर क्यों रखा जाए? यह भी आश्चर्यजनक है कि आयातित
गाड़ी पर कस्टम ड्यूटी चोरी के मामले में छापे डालने का काम कस्टम विभाग की जगह
सीबीआई कर रही है.
सीबीआई की इस हरकत को जब मीडिया ने मुद्दा बनाया तो वित्त मंत्री पी चिदंबरम
ने इसे ‘डिस-अप्रूव’ करते हुए सफाई देने कि कोशिश की. लेकिन उनकी यह सफाई गले नहीं
उतर सकती. वह देश की जनता को इतना मूर्ख क्यों समझते हैं? सारा देश अब जानता है कि
मायावती, मुलायम सिंह यादव, करूणानिधि, जयललिता जैसे नेताओं का केंद्र सरकार को
समर्थन भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई को चुप रखने कि शर्त पर ही होता है. मुलायम
सिंह के मामले में तो सीबीआई हर दो साल बाद सुप्रीम कोर्ट में अपने बयान बदलती आई
है.
जिस सीबीआई को देश के भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए, उन्हें जेल में भिजवाना
चाहिए था, वह सीबीआई केंद्र सरकार के हाथों की कठपुतली बनी हुई है. इसीलिए देश में
एक निष्पक्ष और स्वतन्त्र जनलोकपाल बनाने का आन्दोलन हुआ था. लेकिन शायद इसीलिए
केंद्र सरकार जन लोकपाल जैसी संस्था नहीं बनाना चाहती क्योंकि उसका दुरुपयोग कर
फिर राजनैतिक इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
आम आदमी पार्टी सीबीआई के इस दुरुपयोग कि निंदा करती है. जनलोकपाल आन्दोलन से
उभरी आम आदमी पार्टी का मानना है कि स्वतन्त्र जन-लोकपाल बनाए बिना न तो भ्रष्ट
नेताओं को सज़ा मिलेगी और न ही केन्द्रीय जांच एजेंसी का इस तरह दुरुपयोग रुक
सकेगा.
इस बारे में अधिक जानकारी अथवा किसी टिपण्णी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते
हैं –
मनीष सिसोदिया :
9818910202
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