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हर बच्चे को टीकाकरण उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार के प्रयासों में तेज़ी
विशेष टीकाकरण सप्ताह के दौरान लांच किया गया टीकाकरण संचार अभियान 
नई दिल्ली, 29 अप्रैलः भारत के हर बच्चे का तुरन्त टीकाकरण करने तथा आरआई कवरेज में सुधार लाने के प्रयासों को तेज़ करने के लिए, भारत सरकार ने विशेष टीकाकरण सप्ताहों (स्पेशल इम्मुनाईज़ेशन वीक्स) की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के तहत देश के उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में अप्रैल, जून, जुलाई एवं अगस्त महीनों के एक-एक सप्ताह में, यानि कुल चार सप्ताहों के लिए विशेष टीकाकरण सत्रों का आयोजन किया जाएगा।

हर साल टीकाकरण के माध्यम से पांच साल से कम उम्र के लगभग 4 लाख बच्चों की जान बचाई जाती है। परन्तु लगभग 75 लाख बच्चे टीकाकरण (वैक्सीनेशन) के इन फायदों से वंचित रह जाते हैं, और इनमें से अधिकांश बच्चे कमज़ोर एवं सीमान्त आबादी से होते हैं। टीकाकरण न किए जाने की वजह से, उनमें इन घातक, जानलेवा बीमारियों की सम्भावना कई गुना बढ़ जाती है। आज भी दुनिया भर में, हर पांचवा बच्चा टीकाकरण से वंचित रह जाता है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की अपर सचिव एवं राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक अनुराधा गुप्ता के अनुसार, ‘‘विशेष टीकाकरण सप्ताह एक ऐसा कार्यक्रम है जो हर बच्चे के विकास एवं उनकी जि़न्दगी को सुरक्षित बनाए रखने के प्रयासों को बल देगा।’’ इसी के साथ अनुराधा गुप्ता ने इण्डिया हैबिटेट सेन्टर में मीडिया, डवलपमेन्ट पार्टनर्स एवं स्वास्थ्य अधिकारियों की मौजूदगी में एक नए संचार अभियान की शुरुआत की । 

इस नए संचार अभियान में एक नया आरआई लोगो, टीवी स्पॉट,  रेडियो स्पॉट तथा पोस्टर्स शामिल हैं। युनिसेफ के सहयोग में आयोजित यह मीडिया इवेंट पहले विशेष टीकाकरण सप्ताह (24 से 30 अप्रैल) जागरूकता अभियान का एक हिस्सा है। 

अनुराधा गुप्ता ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, ‘‘नया आरआई लोगों एवं अन्य संचार सामग्री हर बच्चे को तुरन्त जीवन रक्षक टीकाकरण उपलब्ध कराने के बारे के लिए जागरूकता को बढ़ावा देने में निश्चित रूप से मददगार होगी।’’ उन्होंने अपने समकक्षों एवं डवलपमेन्ट पार्टनर्स को प्रोत्साहित किया कि वे सुनिश्चित करें कि युनिवर्सल इम्युनाइज़ेशन प्रोग्राम (सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम) के तहत निःशुल्क उपलब्ध कराई जाने वाली वैक्सीने भारत के हरेक बच्चे तक पहुंचे, और कोई भी बच्चा छूट न जाए।

साल 2012-13 को ‘‘नियमित टीकाकरण की 
तीव्रीकरण का वर्ष (ईयर ऑफ इन्टेंसीफिकेशन ऑफ रूटीन इम्मुनाईजेशन)’’ घोषित किया गया। इन्हीं तीव्र प्रयासों के तहत तमिलनाडु एवं केरल में पैन्टावैलेन्ट वैक्सीन की सफल शुरूआत के बाद, इसे भारत के छह और राज्यों में शुरू किया गया। 

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, आरसीएच के संयुक्त सचिव डॉ राकेश कुमार ने कहा ‘‘पैन्टावैलेन्ट वैक्सीन का विस्तार बच्चों के विकास एवं अस्तित्व के प्रति भारत की वचनबद्धता की दिशा में एक महत्वपवूर्ण कदम है, जिसे सामरिक सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के माध्यम से गति देने का प्रयास किया गया है। पैन्टावैलेन्ट वैक्सीन बच्चों को डिफ्थीरिया, काली खांसी, टिटेनस एवं हेपेटाईटिस बी के साथ एचआईबी न्युमोनिया एवं एचआईबी मेनिन्जाइटिस से भी सुरक्षित रखती है।’’

कार्यक्रम के परिणामों में इक्विटी यानि समानता को बढ़ावा देने के लिए युनिसेफ के फोकस पर बल देते हुए युनिसेफ के भारतीय प्रतिनिधी श्री लुईस-जॉर्ज आरसेनौल्ट  ने कहा, ‘‘भारत में, राज्यों के बीच असमानता है। वैक्सीन कवरेज की दृष्टि से देखा जाए तो यहां भौगोलिक, अमीर-गरीब, शहरी-ग्रामीण एवं अन्य अन्तर दिखाई पड़ते हैं। इन असमानताओं और अन्तरों को दूर करके हमें हरेक बच्चे तक पहुंचना होगा। इसी के मद्देनज़र विशेष टीकाकरण सप्ताह का आयोजन किया गया है जो टीकाकरण के कवरेज में समानता को सुनिश्चित करेगा और हर बच्चे को 
टीकाकरण उपलब्ध कराएगा।’’

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के बाल स्वास्थ्य एवं टीकाकरण के उपायुक्त डॉ अजय खेरा ने बताया, ‘‘विशेष टीकाकरण सप्ताह टीकाकरण के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने में बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा, इसके माध्यम से ऐसी सीमान्त आबादी तक भी टीकाकरण की सेवाएं पहुंचाई जाएंगी जो ईंट के भट्टों और शहरी झुग्गियों में बसी हैं, या ऐसे सुदूर क्षेत्रों में रहती हैं, जहां पहुंचना मुश्किल है। मीडिया एवं अन्य प्रमुख हितधारकों के सहयोग के साथ यह योजना बनाई गई है तथा आने वाले सप्ताहों में इसे जारी रखा जाएगा।’’ 

सम्पादकों के लिए नोट
विशेष टीकाकरण सप्ताह का आयोजन हर साल अप्रैल के अन्त में किया जाता है। जीवन रक्षक टीकों को बढ़ावा देना इसका मुख्य उद्देश्य है, जो घातक रोगों से बच्चों को सुरक्षित रखने वाला सबसे सक्षम उपकरण है। इसी प्रकार के ठोस प्रयासों के चलते कई जानलेवा बीमारियों का पूरी तरह से उन्मूलन किया जा चुका हैः 
1.    1980 में चेचक का उन्मूलन कर दिया गया।
2.    पिछले दो सालों से भारत पोलियो से मुक्त है।
3.    2000 और 2011 के बीच, दुनिया भर में खसरे यानि मीज़ल्स के कारण होने वाली मौतों की संख्या में 71 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। भारत ने 2010 में मीज़ल्स के टीके की दूसरी खुराक शुरू की। 
4.    2003 एवं 2013 के बीच 18 राज्यों में नवजात शिशु में होने वाले टिटेनस का उन्मूलन कर दिया गया। 
जून 2012 में, इथोपिया, भारत एवं संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकारों ने यूनिसेफए यूएसऐड और अन्य पार्टनर्स के साथ मिलकर पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु की रोकथाम के लिए एक विश्वस्तरीय खाका तैयार किया। तब से कमिटिंग टू चाइल्ड सरवाइवलः ए प्रॉमिस रिन्यूड के बैनर तले 170 से ज्यादा देश इसमें शामिल हो चुके हैं तथा बच्चों के जीवन को बनाए रखने के प्रति वचनबद्ध हैं। फरवरी 2013 में, भारत सरकार ने तमिल नाडु में बाल जीवन एवं विकास पर कार्रवाई का शुभारंभ किया। इसके अन्तर्गत भी भारत में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौतों को कम करने की वचनबद्धता पर बल दिया गया। इस विषय पर एक शिखर सम्मेलन का आयोजन भी किया गया, जो भारत में जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य से सम्बन्धित मिलेनियम लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में भारत की यात्रा को गति प्रदान करेगा। 
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अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें- 
1.    डॉ. प्रदीप हल्दर, डीसी, इम्युनाइज़ेशन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार; टेलीफोनः 91.11.23062126
2.    डॉ. अजय खेरा, डीसी, बाल स्वास्थ्य एवं टीकाकरण, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, टेलीफोनः 91.11.23061281
3.    सोनिया सरकार, संचार अधिकारी (मीडिया), युनिसेफ; टेलीफोनः 9810170289

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